एक चंचल महिला आत्म-आनंद में लिप्त होती है, अपनी उंगलियों से अपने नाजुक सिलवटों पर नृत्य करती है। विरोध करने में असमर्थ, वह अपने पसंदीदा खिलौने का परिचय देती है, खुद को परमानंद की नई ऊंचाइयों पर ले जाती है। यह आकर्षक प्रदर्शन दर्शकों को और अधिक तरसाता है।