रात का खाना भरने के बाद पिता-पुत्री अपने को अकेला पा गए.पिताजी की निगाहें उसके उभारों पर टिकी होने से माहौल गर्म हो गया.जैसे ही वह उसके पास पहुंचा, उसने कोई विरोध नहीं किया, एक भावुक मुठभेड़ को भड़का दिया.खाली घर में उनकी कराहें गूंजने लगीं, उनकी इच्छाएं अतृप्त थीं.