18 वर्षीय एक युवा महिला अपने शरीर की खोज करती है, नाजुकता से खुद को सहलाती है। उसकी संवेदनशील आकृतियों पर उसकी उंगलियां नृत्य करती हैं, आंखें बंद कर देती हैं, परमानंद में खो जाती हैं, वह आनंद की गहराइयों का पता लगाती है, कामुक आनंद की दुनिया में उसका पहला कदम।